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चोवीसी
[४५] कोंच लंछन जिन राजियो, त्रणशें धनुषनी देह, चालीश लाख पूरव तणु, आयु अति गुण गेह...२... सुमति गुणे करी जे भर्यो, तर्यो संसार अगाध, तस पद पद्म सेवा थकी, लहो सुख अव्याबाध...३...
पद्मप्रभु नु [६] कोसंबी पुर राजियो, धर नरपति ताय, पद्मप्रभु प्रभुतामयी, सुशोमा जस माय...१... त्रीश लाख पूरवतणुं, जिन आयु पाली, धनुष अढीसें देहडी, सवि कर्मने टाली...२... पद्म लंछन परमेश्वरु अ, जिन पद पद्मनी सेव, पद्मविजय कहे कीजिअ, भविजन सहु नित्यमेव...३...
सुपार्श्वनाथ - [७] श्री सुपास जिणंद पास, टाल्यो भव फेरो, पृथिवी माता उरे जयो, ते नाथ हमेरो...१... प्रतिष्ठित सुत सुंदरू, वाणारसी राय, वीश लाख पूरवतणुं, प्रभुजीनु आय...२... धनुष बसें जिन देहडीओ, स्वस्तिक लंछन सार, पद पद्म जस राजतो, तार-तार भव तार..
चंद्रप्रभु नु [८] लक्ष्मणा माता जनमियो, महसेन जस ताय, उडुपति लंछन दीपतो, चंद्रपुरीनो राय...१... दश लख पूरव आउखु, दोढसो धनुषनी देह, सुर नरपति सेवा करे, धरता अति ससनेह...२...
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