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________________ चोवीसी सुवर्ण वर्ण विराजता, सुमति जिनेसर सेवो, लक्ष चालीश पूर्व आयु, आपे नित्य मेवो...२... समेतशिखर मुक्ति गयाओ, जगजीवन जगदीश, रूपविजय कहे साहिबा, तुं मुज मलिओ इश...३... पद्मप्रभु तु [६] पद्मप्रभु छट्ठा भाया, वर्णे प्रभु राता, धर राय कौसंबी धणी, सुशीमा जस माता...१... कमल लंछन अढिसो धनुष, शिवसंपत्ति दाता, त्रीश लाख पूरव आयु, त्रिभुवननो त्राता...२... चोत्रीश अतिशय विराजताओ, सेवे सुर नर कोड, विनयविजय उवज्झायनो, रूप नमे कर जोड...३... सुपार्श्वनाथ [७] [ १७ ] जगतारण जिन सातमा, प्रतिष्ठित राय नंद, पृथ्वीमाता उरे धर्यो, मुख पूर्णिमा चंद... १... वीश लाख पूरव आयो, बसो धनुष देह दीपे, स्वस्तिक लंछन श्री सुपार्श्व, अरियणने जीपे...२... जन्म स्थान वाणारसी ए, देह कनकने वान, रूपविजय कहे साहिबा, द्यो शिवरमणी ठाम...३... चंद्रप्रभु तु [ ८ ] महसेन मोटो राजियो, सती लक्ष्मणा नारी, चंद्र समुज्वल वदन कांति, जन्म्यो जयकारी...१... चंद्रपुरी नयरी जेहनी, चंद्र लंछन कहिये, चंद्र प्रभ जिन आठमा, नामे गहग हिओ ...२... For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003635
Book TitleChaityavandan Chauvisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAbhinav Shrut Prakashan
Publication Year
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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