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[१८]
चैत्यवंदन
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दोढसोधनुष- जिनतनु, दश लाख पूरव आय, रूपविजय प्रभु नामथो, दिन-दिन दोलत थाय...३...
सुविधिनाथ नु [६] सुविधि भली विध सेवतां, भव भावठ भंजे, सुग्रीव राय सुत सेवतां, दुश्मन नवि गंजे...१... मगर लंछन मन मोहतो, नयरो काकंदी, दोय लाख पूरव आय, बोले जयनंदी...२... अकसो धनुष वर देहडी, उज्ज्वल वर्ण उदार, रूपविजय कहे भवि नमो, वामा माता मल्हार...३...
शीतलनाथ नु [१०] भद्दिलपुर द्दढरथ राय, नंदा पटराणी, शीतल जिनवर जन्मतां, जगकीति गवाणी...१. श्रीवत्सलंछन नेवं धनुष, देह सुवर्ण समाणी, एक लाख पूरव आयु मान, कहे केवलनाणो...२... सुखदायक दशमा सदाओ, दे दोलत भरपूर, रूपविजय कहे भवि नमे, प्रह उगमते सूर...३...
___ श्रेयांसनाथ नु [११] विष्णुराय कुल केसरी, माता विष्णु जायो, खड्गी लंछन ऐंशी धनुष, सवि सुरपति गायो...१. लाख चोराशो वरस आयु, भविजन मन भायो, श्री श्रेयांस जिनेश्वर, दीठे सुख पायो...२... सुवर्ण वर्णे देहडीओ, सिंहपुरी अवतार, रूपविजय कहे मुज मळयो, त्रिभुवन तारणहार...३...
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