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पू. हंससागर सूरिजी कृत चोविशी नूतन जरूर छे पण चोविश बोल नो विशिष्ट संग्रह होवाथी अत्र स्थान आपेल छे.
खरतरगच्छीय महात्मा पू. क्षमा कल्याणजी कृत संस्कृत चोविशी अति प्रचलित छे ज साथे साथे तेओनी गुजराती चोविशी छ - गाथा वाळी मळता तेने पण अलग स्थान अपायुं छे.
पू. शीलरत्न सूरिजी कृत संस्कृत चोविशी ७५ वर्ष पूर्वे श्री आत्मानंद समाए प्रकाशित करेली, ते प्राचीन चोविशी छे. विशेष माहिती मळी नथी.
[] श्री राम विजयजी, श्री मान विजयजी तथा श्री रूपविजयजी नी चोविशी अल्प प्रसिद्धि पामी छे पण खूबज गमी जाय तेवी छे. जेमां पू. राम विजयजी कृत चोविशी मां प्रभु विशेना अलग बोल ने बदले “सामान्य - जिन" भक्तिमयता नुं प्राधान्य विशेष छे.
पू. नंद सूरिजी कृत चोविशी तेना देववंदन मांथी लोधी छे आ चोमासी देववंदन लगभग अप्रसिद्ध बनी गया छे. केवळ प्राचिन पुस्तकोमांज उपलब्ध बने छे.
पू. पद्मविजयजी, पू. ज्ञानविमल सूरिजी तथा पू.वीरविजयजी कृत चोमाशी देववंदनो मांथी तेओनी चोविशी लीघेली छे. तेमां मने श्री वीरविजयजी नी चोविशी खूब गमी छं तेमां विविध नव बोल थी कृति नी ग्र ंथणी कराई छे.
चतुविध श्रीसंघ मारा आ प्रयास ने ज्ञान क्रिया ना सुंदर समन्वय थकी क्षायिक सम्यक् दर्शन पामवानी अभिलाषा पूर्वक आदरनारा बने ए ज करबद्ध प्रार्थना. जैन आराधना भवन, नीमच
आसो सुदी १० सं. २०४५ १० अक्टू. १९८६
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-मुनि दीपरत्नसागर
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