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चोवीसी
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अम अनेक गुणे भर्यो अ, भव-भव भंजणहार, सुमति सहित जिन सेवतां, राम लहे जयकार...३...
नमिनाथ नु [२१] नमि नामे अकवीसमा, जे जिनवर कहिये, जगनायक जगदोसरु, आणा शिर वहिये...१... शिवसुख नो दातार सार, शारद शशि सरीखो, वदन विराजे नाथनू, देखी हुं हरखो...२... त्रिभुवनपति लीला बनोओ, ते केम वरणी जाय, राम अचल प्रभु ध्यानमां, रहेता शिवसुख थाय...३
नेमिनाथ नु [२२] नेमि जिनेसर नियमथी, नमतां नव निधि, सकल पदारथ पूरवे, सेव्यो दिये सिद्धि...१... नीरागीमां लीह दीह, रयणी दिल मोरे, रसियो मनअली माहरो, पदकमले तोरे...२... तुं त्राता त्रिभुवनधणी), निज सेवक संभाळ, रामविजय जिन नामथी, लहिये सुख रसाळ..
पार्श्वनाथ नु [२३] त्रेवीशमा त्रिभुवन तिलक, त्रिकरणथी सेवो, त्रिगुण सहित गुणत्रय रहित, आपे शिव मेवो...१... परम पुरुष परमातमा, पावन परमेसर, प्रगट ज्योति अविचल कला, लीला अलवेसर...२... ते प्रभुना गुण गावतां अ, प्रगटे परम विलास, राम प्रभुनी सेवना, करतां पहुंते आश...३...
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