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चैत्यवंदन अभिनंदन -[४] जयंत विमान थकी चव्या, अभिनंदन राया, वैशाख शुदि चोथे माघ- शुदि बीजे जाया...१... महा शुदि बारस लहे दिक्ख, पोष शुदि चउदश, केवल शुदि वैशाखनी, आठमे शिवसुख रस...२ चोथा जिनवरने नमिओ, चउगति भ्रमण निवार, ज्ञानविमल गणपति कहे, जिनगुणनो नहीं पार...३...
सुमतिनाथ नु [५] श्रावण शुदि बीजे चव्या, मेहलीने जयंत, पंचमी गति दायक नमुं, पंचम जिन सुमति... शुदि वैशाखनो आठमे, जनम्या तिम संजम, शुदि नवमी वैशाखनी, निरूपम जस शम दम...२... चैत्र अगियारस उजली, केवल पामे देव, शिव पाम्या तिणे नवमी, नय कहे करो सेव...३...
पद्मप्रभु नु [६] नवमा ग्रैवेयकथी चव्या, महा वदि छठ दिवसे, काति वदि बारशे जनम, सुर नर सवि हरसे...१... वदि तेरश संजम ग्रहे, पद्मप्रभु स्वामि, चैत्रो पुनम केवली, वली शिवगति पामी...२... मगशिर वदि अगियारशे, रक्त कमल सम वान, नय विमल जिनराजन, धरिले निर्मल ध्यान...३.
सुपार्श्वनाथ नु [७] छटा अवेयकथी चवी, जिनराज सुपास, भादरवा वदि आठमे, अवतरिया खास...१...
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