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चोवीसी
[२६] ज्ञानविमल सूरि कृत चोवीशी
श्री ऋषभदेव नु [१] प्रथम जिनेसर ऋषभदेव, सव्वट्टथी चविया, वदि चोथ आषाढ नी, शुक्र संस्तविया...१... अष्टमी चैत्रह वदि तणी, दिवसे प्रभु जाया, दोक्षा पण तिणहिज दिने, चउनाणी थाया...२ फागण वदि इग्यारसे, ज्ञान लहे शुभ ध्यान, महा वदि तेरशे शिव लह्या, परमानंद निधान...३...
अजितनाथ - [२] शुदि वैशाखनी तेरशे, चविया विजयंत, महा शुदि आठमे जनमिया, बीजा श्री अजित...१... महा शुदि नोमे मुनि थया, पोषी अगियारस, उज्ज्वल उज्ज्वल केवली, थया अक्षय कृपारस...२... चैत्री शुक्ल पंचमी दिने, पंचमी गति लह्या जेह, धीरविमल कविराय नो, नय प्रणमे धरी नेह...३...
संभवनाथ - [३] सप्तम अवेयक थकी, चविया श्री संभव, फागण शुदि आठम दिने, चउ दिसी अभिनव...१... मगशिर मासे जनमिया, तिणी पुनम संजम, कार्तिक वदि पंचमी दिने, लहे केवल निरूपम...२... पंचमी चैत्रनी उजली, शिव पहोंत्या जिनराज, ज्ञानविमल प्रभु प्रणमतां, सीझे सघलां काज...३...
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