SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [२८] चैत्यवंदन वप्राराणी उयरे धरो, पनर धनुष तनु सोहे, वाणी जोअण गामिनि, मधुरो तिर्यंच मोहे...२... निल्लुपल लंछन भलं, मथुरा नयरी निवास, कंचन वरण पूजी करी, जिन गुण भणी रास...३... नेमिनाथ नु [२२] धन सोरठ धन सोरठ, देश दीपे अति चंग...१.. धन-धन शौरीपुरी नयर, धन शिवा देवी मात, धन-धन समुद्रविजय पिता,मोहमयण कीधो घात...२... धन-धन राजीमती सतो, धन ते नर ने नार, शंख लंछन नमुं नेमजी, जाशं गढ गिरनार...३... पार्श्वनाथ नु [२३] . अश्वसेनह अश्वसेनह, जास जिन तात...१... वामा माता जनमिया, मोह मद मान कंदण, प्रभावती हंसगामिनो, जिन भविअ रंजण...२... लंछन सरप सोहामणो, वाणारणीनो वास, जिन जिराउल मंडणो, भधियां पूरो आस...३. ___ महावीर स्वामी नु [२४] छत्र शिरपर छत्र शिरपर, त्रण सोहंत...१... चामर सुरपति चालवे, वाणि त्रिभुवन मोहे, सिद्धारथ कुल अवतर्या, त्रिशला माता सोहे...२... चरणे मेरू चलाविओ, समरथ लंछन सिंह, महावीर जिन निते नमुं, प्रह उगमते दिह...३... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003635
Book TitleChaityavandan Chauvisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAbhinav Shrut Prakashan
Publication Year
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy