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________________ चोवीसी [६१] चौरासी लख पूर्व आय, वृषभ लांछित पाय । धनुष पांचसे मान काय, सेवित सुर राय....२ छट्ठ भत्त संजम लियोए, नयरि अयोध्या ठाम । चौरासी गणधर सहित, आयो शिवपुर स्वाम....३ सहस चोरासी शुद्ध साधु, समणी त्रिण लक्ख । श्रावक साढा तीन लक्ख, सेवित सुध पक्ख....४ पांच लाख चोपन सहस, श्रावकणी सार । गोमुख यक्ष चकेसरी, नित सांनिधकार ...५ दश हजार सुनि साथसुंओ, तप चउदसम जाण । प्रभु सीधा अष्टापदें, करो संघ कल्याण....६ अजितनाथ नु [२] श्री जितशत्रु नरेस नंद, विजया तनु जात । गज लांछन सोवन वरण, सोहे प्रभु गात....१ सार्द्ध च्यार शत धनुष मान, प्रभु उन्नत काय । आउ वहुत्तर लाख पूर्व, जिन अजित अमाय....२ छट्ठ भत्त संजम लियोओ, नयरी अयोध्या ठाम । पंचाणुं गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३ एक लाख मुनि तीस सहस, आर्या त्रिण लक्ष । दोय लाख श्रावक सहस, अठाणुं दक्ष....४ पण लख पैतालिस सहस, श्रावकणी सार । देवी अजिता महायक्ष, नित सानिधकार....५ एक सहस मुनि साथसुंओ,मास खमण तपजाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६ संभवनाथ नु [३] श्री संभव जिनराज देव, तनु सोवन वान । श्री जितारि सुतन, पद तुरग प्रधान....१ साठ लाख पूरव प्रगट, प्रभु आय प्रमाण । धनुष च्यार सो मान उच्च, प्रभु काय वखाण....२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003635
Book TitleChaityavandan Chauvisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAbhinav Shrut Prakashan
Publication Year
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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