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चोवीसी
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महावीर स्वामी नु [२४] सिद्धारथ त्रिशलातणो, वंश इक्ष्वाकु नंद, उत्तरा उडु नाथने, कन्या राशि अमंद....१.... शुचि शुदि छठ दिन चव्या,मधु शुदि तेरश जात, हरि लंछन हेम वर्ण पूर, सात हाथ जगतात....२.... कुंडलपुर वर राजीयो, सह वद दशमी दिन, ओकाकी संयम वर्या, जय-जय नाथ नगीन....३.... माधव शुदि दशमी प्रभु, ज्ञान शाल तरु पाय, छत्रीस सहस सुसंयति, चौद सहस मुनिराय....४.... बहोतेर वर्ष- आउखु, कार्तिक वदि अमास, पाम्या अकाकी प्रभु, पावापुरी शिववास....५.... गर्भवास नव मास दिन, सात यक्ष मातंग, सिद्धायिका सेवा करे, हृदय धरी उछरंग....६.... गोधा कर निधि-निधि शशी,रची चोवीशी अमोल, वेद व्योम नभ युग सूरत, हंस सुधार्या बोल....७....
हंससागरजी कृत चोवीशीना अघरा शब्दो सार्थ अंक- लंछन, मधु- चैत्रमास, माधव- वैशाख, राध- वैशात्र, नभ- श्रावण, शुक्र- ज्येष्ठ, नभस्य- भाद्रपद, शुचि- आषाढ. उर्ज- कार्तिक, सह- मागशर, नेतु- प्रभुना, रूक्ष- नक्षत्र, राका- पूर्णिमा, खड्गी- गेंडो, स्तुभ- बोकडो, उडु- नक्षत्र, रोधभवाकु- संसार अटक्यो छे तेवा ।
शोलरत्नसूरि कृत चोवीसी
श्री ऋषभदेव नु [१] चिदानंदलीलारसास्वादलीनं, गुणैः सिद्धिभाजामनंतरहीनं, मुदा सर्वदा श्रीयुगादीशदेवं, स्तुवे भद्रदायिक्रमाम्भोजसेवं...? गृहस्थो बभाषे कलाशिल्पसारं,क्रमात् केवली यश्च धर्मप्रकारं, स एव प्रभुः सर्वलोकोपकारी, न चान्यस्ततो ज्ञाननैर्मल्यधारी...२
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