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चोवीसी
चक्रवर्ती प्रभु सातमा अ, अढारमो मुज देव, रूप कहे भविजन तमे, करो नित्य-नित्य सेव...३... मल्लिनाथ [१९] मल्लिनाथ ओगणीशमा, मिथिलापती वंदो, प्रभावती मात जनमिआ, कुंभराज कुलचंदो... १... सहस पंचावन वर्ष आयु, नीलवर्ण जिणंदो, पचीश धनुष देह मान, टाले भवफंदो...२... लंछन कलश सोहामणो ओ, सेवे सुर नर वृन्दो, विनयविजय उवज्झायनो, रूप लहे आणंदो...३... मुनिसुव्रत स्वामी तु [२०]
जयो निरंतर स्नेहशुं, वीशमा जिनराय, सुमित्र राय पद्मावती, सुतशुं मन भाय कच्छप लंछन धनुष वीश, श्यामवर्णी काया, त्रीश सहस वर आउखु, हरिवंश दीपाया...२... मुनिसुव्रत महिमानीलो ओ, नगरी राजगृही जास,
रूपविजय कहे साहिबा, नामे लील विलास...३... नमिनाथ तु [२१]
विजय वप्रा सुत धणी, मिथिलानो नाथ, धनुष पंदर हेम वर्ण, मेले शिव साथ...१... लंछन नीलकमल जास, तरिआ भवपाथो, नमि नमता स्नेहशुं, अमे थया सनाथो...२... दश हजार वर्ष आउखुं ओ, अकवीशमा मुज स्वाम, रूप कहे प्रभु सांभलो, मन मोह्युं तुम नाम...३...
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