SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [३४] वदि पंचमी वैशाखनी, लिओ संयम भार, शुदि त्रोज चैत्रह तणी, लहे केवल सार...२... पडवा दिन वैशाखनी, पाम्या अविचल ठाण, छट्टा चक्री जयकरू, ज्ञानविमल सुख खाण...३... अरनाथ [१८] चैत्यवंदन सरवारथथी आविया, फागण शुदि बीजे, मृगशिर शुदि दशमी जण्या, अरदेव नमीजे...१... मृगशिर शुदि अकादशी, संजम आदरियो, काति उज्ज्वल बारशे, केवल गुण वरियो... २... शुदि दशमी मृगशिर तणी, शिव लहे जिननाथ, सत्तम चक्रीने नम्, नय कहे जोडी हाथ...३... मल्लिनाथ तु [१६] चव्या जयंत विमानथी, फागण शुदि चोथे, मृगशिर शुदि इग्यारशे, जनम्या निग्रंथे...१... ज्ञान लह्या अकण दिने, कल्याणक तीन, फागण शुदि बारशे लहे, शिव सदन अदीन... २... मल्लि जिणेसर नीलडा, ओगणीशमा जिनराज, अणपरणा अणभूपति, भवजल तरण जहाज...३... मुनिसुव्रत स्वामी नुं [२०] अपराजित थी आविया, श्रावण शुदि पुनम, आठम जेठ अंधारडी, थयो सुव्रत जनम... १... फागण शदि बारशे व्रत, बदि बारशे ज्ञान, फागणनी तिम जेठ नवमी, कृष्णे निर्वाण ...२... For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003635
Book TitleChaityavandan Chauvisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAbhinav Shrut Prakashan
Publication Year
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy