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चैत्यवंदन एकाकी पावापुरीय, छ? भत्त सुह झाण । प्रभ पहुंता अमृत पदें, करो संघ कल्याण....६
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* श्री रामविजयजी कृत चोविसी ने अंते रचेल मंगल कलश त्यां
भूलाई गयेलो होवाथी अत्रे बार चोविसी ने अंते मुकेल छ । जे जे जिन चोवीसनां, गुण कीर्तन करशे । ते नरने शिव - सुंदरी, आवी ने वरशे....१
अक्षय सुख माणे सदा, ते नर सोभागी।। जे जिन नमशे तेहनी, शुभ परिणति जागी....२
श्री सुमति विजय गुरु सेवता, वाधे सुखनी वेल । राम विजय जिन नामथी, करिये शिवसुख केल....३
द्रव्य सहायक पू. योगनिष्ठ आचार्य श्री विजय केशर सूरिश्वरजी म. सा ना आज्ञावतिनी नी पूज्य प्रतिनी साध्वी श्री नेम श्रीजी म. ना उपदेश थी- 'श्री नेम मंजुल वारि वज जैन स्वाध्याय मंदिर' मां आराधना करनार बहेनो तरफथी भेंट ।
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