Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
View full book text
________________
चौवीसी
[१५]
एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६
शीतलनाथ नु [१०] श्री दृढरथ नंदा सुतन, शीतल जिनराय। श्रीवछ लांछन कनकवान, सोहे जसु काय....१
एक लाख पूरव वरस, जसु आय प्रमाण ।
नेऊ धनुष प्रमाण देह, गुण रयण निहाण....२ छट्ठ भत्त संजम लियोओ, भद्दिलपुर वर ठाम । इक्यासी गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३
एक लाख मुनि षट अधिक, श्रमणी एक लक्ख ।
दो लख निव्यासी सहस, श्रावक सुध पख....४ सहस अठावन च्यार लक्ख, श्रावकणी सार । देवि अशोका ब्रह्मयक्ष, नित सानिधकार....५
एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६
श्रेयांसनाथ नु [११] जय जय विष्णु नरेस नंद, विष्णु तनु जात । खडगी लांछन कनकवान, सुन्दरतर गात....१
असी धनुष सुप्रमाण देह, जित तेज दिणंद ।
__ लाख चौरासी वरष आय, श्रेयांस जिणंद....२ छट्ट भत्त संजम लियोओ, नगर सिंहपुर नाम । छिहोत्तर गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३
सहस चौरासी शुद्ध साधु, इक लख त्रिण सहस ।
साध्वी श्रावक दोय लाख, गुणयासी सहस....४ चौलख अडतालिस सहस, श्रावकणी सार । यक्षराज सुर मानवी, नित सानिधकार....५
एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110