Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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चोवीसी
[ ६३ ]
वीस सहस त्रिण लख, साधु पण लख तीस । सहस साध्वी श्रावक, दोय लाख इक्यासी सहस....४ पांच लाख सोले सहस, श्रावकणी सार । महाकालि सुर तुंबरु, नित सानिधकार.... ५ एक सहस मुनि साथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण.....६ पद्मप्रभु तु [६] देवि सुसीमा नंद चंद, धर नरपति धाम । रक्त वरण प्रभु कमलअंक, पद्म प्रभु नाम....१ धनुष अढाई से प्रमित, तनु उन्नत सोहे | आयु पूर्व तीस लाख, भव दुःख विछोहे.... २ छट्ट भत्त संजम लियोओ, कोशंबी पुर ठाम । गणधर इक शत सात युत, आपो शिवपुर स्वाम....३
तीस सहस त्रिण लख साधु, चौलख बीस सहस । साध्वी श्रावक दोय लाख, छिहोत्तर सहस....४ पांच लख बलि सहस पांच श्रावकणी सार । कुसुम यक्ष स्यामा सुरी, नित सानिधकार.... ५
त्रिण सय अड मुनिसाथसुंओ, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण....६ सुपार्श्वनाथ नुं [७] प्रहसम समरू श्री सुपास, कांचन समकाय । श्री प्रतिष्ठ पृथ्वीसुतन, स्वस्तिक जसु पाय.... १ वीस लाख पूरव सकल, जसु आयु प्रमाण । धनुष दोय सौ मान देह, जसु उन्नत जाण....२ छट्ट भत्त संजम लियोओ, पुरी वणारसी ठाम । पंचाणुं गणधर सहित आपो शिवपुर स्वाम....३
त्रिण लख मुनि चौलख, समणी वलि तीस हजार । सहस सनातन दोय लख, श्रावक गुण धार....४
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