Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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चैत्यवंदन
छट्ठ भत्त संजम लियो, सावत्थी पुर ठाम । इकशत दुय गणधर सहित, आपो शिवपुर स्वाम....३
दुय लख मुनि त्रिण लख,समणी बली सहस छत्तीस।
सहस त्रयाणु तीन लाख, श्रावक सुजगीस....४ छ लख सहस छतीस शुभ, श्रावकणी सार । त्रिमुख यक्ष दुरितारि देवि, नित सानिधकार....५
एक सहस मुनि साथसुंए, मासखमण तपजाण । प्रभु सीधा समेतगिरि, करो संघ कल्याण....६
अभिनंदन नु [४] श्री अभिनंदन विश्वनाथ, कपि लांछित पाय । श्री संवर सिद्धारथा, सुत सोवन काय....१
सार्द्ध तीन शत धनुष मान, प्रभु देह विराजे ।
आयु लाख पंचास पूर्व, अतिशय गुण छाजे....२ छठ्ठ भत्त संजम लियो, नियरि अयोध्या ठाम । गणधर इकशत सोलजुत, आपो शिवपुर स्वाम....३
त्रिण लख मुनि आर्या छलख, वलि तीस हजार ।
सहस अठ्यासी दोय लख, श्रावक सुविचार....४ सहस सतावीस पांच लाख, श्रावकणी सार । यक्ष नायक काली सुरी, नित सानिधकार....५
एक सहस मुनि साथसुं, मासखमण तप जाण । प्रभु सीधा समेत गिरि, करो संघ कल्याण....६
सुमतिनाथ नु [५] कनक वरणी सुमतिनाथ, जपिये जसु नाम । मेघ नरेसर मंगला, अंगज अभिराम....१
धनुष तीनशत देह मान, जसु लांछन क्रोंच ।
आयु लख चालीस पूर्व, बहु सुकृत संच....२ छ? भत्त संजम लियोओ, नयरि अयोध्या ठाम । इक शत गणधर परिवर्या, आपो शिवपुर स्वाम...३ Jain Education International For Private & Personal Use Only
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