Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 47
________________ चोवीसी [४१] - - - मानव गण गुणवंतने, मेष राशि सुविलास, भरणी मे जनम्या प्रभु, छद्मस्था इग वास...२... केवल नंदीतरु तले, पाम्या अंतर झाण, वीर करमने क्षय करी, नव शतशुं निरवाण...३... कुथुनाथ नु [१७] लवसत्तम सुरभव तजी, गजपुर नयर निवास, राक्षस गण कृतिका जनी, कुंथुनाथ वृष राश...१... सोल वरस छद्मस्थमां, जिनवर योनि छाग, घाति कर्म घाते करी, तिलक तले वीतराग...२... शैलेशी करणे करो अ, अक सहस परिवार, शिवमंदिर सधावतां, वीर घणुं हुंशियार...३... अरनाथ नु [१८] ठाण सव्वट्ठ थकी चव्या, नागपुरे अरनाथ, रेवतो जन्म महोत्सवा, करता निर्जरनाथ...१... जयकर योनि गजवरू, राशि मीन गणदेव, त्रण्य वरसमां थिर थइ, टाले मोहनो टेव...२... पाम्या अंबतरू तले, क्षायिक भावे नाण, सहस मुनिवर साथÓ, वीर कहे निर्वाण...३... मल्लिनाथ नु [१६] मल्ली जयंत विमानथी, मिथिला नयरी सार, अश्विनी योनि जयंकरू, अश्विनोओ अवतार...१... सुर गण राशि मेष छे, वंदित स्वर्गा लोक, छद्मस्था अहो रातिनी, केवल वृक्ष अशोक...२... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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