Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 63
________________ चोवीसी [५७] वक्ष नमावे शीष, देवो दंदुभि बजावे, पवन शकुन तिहां सार, पुष्प नो वृष्टि करावे...२... कुसुम भला ढीचण समा,नख केश रोम वाधे नहीं, कवि ऋषभ इम उच्चरे, नमिनाथ वंदो सही...३... नेमिनाथ नु [२२] नेमि नम निशदिश, जन्म थकी जे ब्रह्मचारी, अष्ट भवांतर स्नेह, तजी जेणे राजुल नारी...१... नेमि चड्या गिरनार, धरी मन संयम ध्यान, चोपन दिन छद्मस्थ, पछी प्रभु केवलज्ञान...२... सहस वर्ष प्रभु आउखं, पाळीने मुक्ति गयो, ऋषभ कहे जिन नेम नो,जश महिमा जगमा रह्यो...३... पार्श्वनाथ - [२३] पूजो पास जिणंद, कमठ हठी मद गाल्यो, कर्यो नाग धरणेंद्र, अभय दई रागने टाल्यो...१... फाट्युं शंकर लिंग, शिला सागर मांही तारी, धन्य तुं पार्व जिणंद, जरा यादवनी निवारी. कोढ गयो एलग तणो, नागार्जुन विद्या सिद्धि, ऋषभ कहे सिद्धसेननी, सभामांही सारज कीधी...३... महावीर स्वामी नु [२४] वंदु वोर जिणंद, मही जेणे मेरू नचाव्यो, हरि समजाव्यो राय, देव जिणे पाय लगाव्यो...१... शूलपाणी समजाय, नागनी गति समारी, चंदनबाला जेह, लेइ बाकुला तारी...२... उदायी अर्जुन वली, तार्या मेघकुमार, ऋषभ कहे वीर वचन थी, बहु जन पाम्या पार...३... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110