Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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[५६]
चैत्यवंदन अरनाथ नु [१८] अढारमो अरनाथ रूप, बहु सुगंध शरीर, अदृष्ट आहार निहार, रुधिर रंग गोखीर...१... समवसरणे देव नर, जोजन मांही समाये, जोजन लगे जिन वाणी, पशु पण वचन सोहाये...२... भामंडल तिहां झलहले, रोग वैर नाठा सही, ऋषभ कहे जिन संस्तवो, अरनाथ आगल रही...३...
मल्लिनाथ नु [१६] मल्लीनाथ निशदिन, इति जेणे मरकी टाली, अतिवृष्टि अनावृष्टि, गयो ते दूत दुकाली...१. धर्मध्वज सोहंतो, सिंहासन सह पादपीठे, .. धर्मचक्र आकाशे, देव तुज आगळ हीडे...२... चामर वींझे सुरवर, रयण सिंहासन बेसणे, कवि ऋषभ इम उच्चरे, मल्लिनाथ पातिक हणे..
मुनिसुव्रत स्वामी नु [२०] मुनि सुव्रत नम स्वामी, शीष त्रण छत्र सोहावे, इंद्रध्वजा तिहां सार, पाय नव कमल कहावे...१... त्रण वप्र तिहां देव, हेम मणि रूपा केरा, जिन प्रतिमा तिहां चार, टाले भवनमण घणेरा. अशोकवृक्ष शिर ऊपरे, अमृतवाणी मुखथी झरे, ऋषभ कहे सुव्रतस्वामिनी, इंद्र चंद्र कीर्तिकरे...३...
नमिनाथ नु [२१] साचा श्री नमिनाथ, जिण पंथे चाल्या जाय, सही सुगंधी वाट, अधोमुख कंटक थाय...१...
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