Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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[५४]
चैत्यवंदन
फागण वदि बारशे, जन्म तुज स्वामि जाणुं, चोराशी लख वरस आय, तुज सार वखाj...२... झुझ्यो बुझ्यो उगर्यो, लेइ संजम मुक्ति गयो, ऋषभ कहे श्रेयांसनो, जश महिमा जगमा रह्यो...३
वासुपूज्य नु [१२] वासुपूज्य जिन विख्यात, मात जयाए जायो, लेइ इंद्र उत्संग, मेरू माथे जइ नाह्यो...१... आठ सहस चउसट्ठो, कलश अडविधना जाणी, न्हवण करे सुर सोइ, वहे तिहां प्रवाह पाणी...२... कुंडल दोय चिवर भलां, अंगूठे अमृत ठव्यो, कविऋषभ इम उच्चरे,वासुपूज्य जिनमहिमा कह्यो.३...
विमलनाथ नु [१३] वंदो विमल जिणंद, जस अतिशय चउतीश, अनंत जिननी मांही, वाणी गुण पांत्रीश...१.. दोष अढारे दूर, कर्म आठने बाली, अलगा तो मद आठ, क्रोध पण चारे टाली...२... पाप अढारे परिहरी, सिद्धिवधु स्वामी हुवो, कवि ऋषभ इम उच्चरे, विमलनाथ गुण संस्तवो...३...
अनंतनाथ नु [१४] अनंतनाथ अरिहंत, शरण हुँ तोरे आव्यो, राख-राख जिनराय, देव तुज दर्शन पायो...१... हुरूलियो चउगति मांही, नाम तेरा विण स्वामि, प्रगट्यो पुण्य अंकुर, तुं मल्यो शिवगतिगामी...२...
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