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चैत्यवंदन
गुणअनंत ताहरा प्रभु,त्रिभुवन नहीं को तुज समो, कवि ऋषभ इम उच्चरे, अभिनंनद जिनवर नमो...३...
सुमतिनाथ - [५] सुमतिनाथ सुखवास दास, हुं लव लव त्हारो, करू विनती एक तुज, आवागमन निवारो.. सेवकनी करो सार, पार पहेलां उतारो, क्रोध मान मद लोभ, सोय उपजतां वारो. देव निरंजन नाम तुह, तुज नामे निश्चय तरो, कवि ऋषभ एणि परे कहे, सुमतिनाथ पूजा करो...३...
पद्मप्रभु नु [६] श्री पद्म प्रभ स्वामी, नामतो नव निधान, कोसंबी नरनाथ, देह नो प्रवाल वान...१... त्रीश लाख पूर्व आय, तेह पण पूरु पालो, पहोंच्या मुक्ति मोझार, कर्म आठे ने टाली...२... पद्म लंछन पाये नम, श्रो जिनवर ध्याने रम, कवि ऋषभ इम उच्चरे, पद्मप्रभ पूजी जमुं...३.
सुपार्श्वनाथ नु [७] दीठो श्री सुपास जास, मुख पूनम चंदो, नहीं ब्रह्मा नहीं विष्णु, नहीं गरुड गोविंदो.. नहीं ईश्वर नहीं इंद्र, नहीं को तुज नमूनो, तुं जिनवर जगदीश, कंत तुं मुक्ति वधुनो...२... परभेश्वर तुजने कहुं, तुज विण ओर न को वली, श्री सुपार्श्व जिन पूजतां, ऋषभदास आशा फली...३...
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