Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 65
________________ चोवीसी अक लाख सुसाधुजी, लख त्रण त्रीश हजार, संयति शील सोहामणां, प्रभुनो से परिवार.... ५..... आयु बहोंतेर लाख पूर्व, सहस मुनि संगाथ, चैत्र शुदि पंचमी समेत - शैल वर्या शिव नाथ.... ६.... गर्भ मास अडदिन पचीस, यक्ष महायक्ष, अजितबाला देवी सदा, रखवाली सुदक्ष.... ७..... संभवनाथ [३] .२.... जितारी सेना नंदलो, इक्ष्वाकु कुल केतु, मिथुन मृगशीर्ष भला, राशि नक्षत्र नेतु.... १.... चव्या फागणशुद आठमे, सह शुद चौदश जाया, कनक वरण हय लंछनो, धनुष चारशें काया.... सावत्थी नयरी धणी, दीक्षा सहस मुनि साथ, सह शुदि पूनम संग्रही, जग विचरे जिननाथ....३.... शाल तले केवल वर्या, उर्ज वद पंचमी दक्ष, त्रणसो साडीश सहस, श्रमणी श्रमण बे लक्ष .... ४..... सहस मुनि सह चैत्र, शिव वर्या जग नेत्र.... ५.... दिन त्रिमुख यक्ष, प्रभु शासन रखवालिका, दुरितारी बधकक्ष.... ६..... अभिनंदन नुं [४] साठ लाख पूरव रही, शुदि पंचमी समेत शैल, गर्भवास नवमास खट, [ ५६ ] सिद्धार्था संवरतणो, नंद इक्ष्वाकु वंश, पुनर्वसु मिथुन भला, राशि नक्षत्र प्रशंश.....१.... चव्या माधवशुद चोथने, महाशुदी बीज अवतार, कपि लंछन हेम वर्ण काय, उंठशत घनु सार....२.... पुरी अयोध्या राजीयो, सहस मुनि सह दीक्षा, महा शुदि बारशथी ग्रहे, प्रभु माधुकरी भिक्षा....३.... केवल पोष शुदि चौदशे, प्रियाल वृक्ष तले लीध, संयति छ खत्रीस सहस, मुनि त्रणलाख प्रसिद्ध.... ४..... For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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