Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 71
________________ चोवीसी [ ६५ ] महा शुदि तेरश व्रत धरी, जग विचरे जगनाथ.... ३.... पोष राका दधिपर्ण, अध ज्ञान चोसठ हजार, साधु संयति चारसें, बासठ सहसशुं धार.... ४..... प्रभु आयु दश लाख वर्ष, आठसें मुनिवर साथ, जेठ शुद्धि पंचमी समेत, शैल वयां शिव नाथ.... ५.... गर्भवास अड मास दिन, छव्वीश किन्नर देव, देवी कंदर्पा संघनां, कष्ट हरे नित्यमेव .... ६..... शांतिनाथ नुं [१६] भाण, विश्वसेन अचिरातणो, नंद इक्ष्वाकु भरणी रूक्ष राशि मेष, सेवे सुर नर राण ... १..... भाद्र वदि सातम चव्या, जेठ वद तेरश जात, मृग लंछन हेम वर्ण काय, चालीश धनु विख्यात ....२.... गजपुरी भूषण प्रभु, संयम सहशशुं लीध, ज्येष्ठ वदि चौदश दिने, सकल मनोरथ सिद्ध....३.... पोष शुदि नवमी तरू, नंदी ज्ञान हजार, बासठ मुनि साधवी सहस, अकसठ छसें धार.... ४..... वरस लक्ष अक आउखु, नवसें पचास मुनि साथ, जेठ वदि चौदशे ग्रह्यो, समेत शिववधु हाथ.... ५.... गर्भमास नव दिन खट, यक्षवर गरुड सूर, शासन संघ सनूर.... ६.... निर्वाणी नित्य-नित्य करे, कुंथुनाथ [१७] श्री माता सुरराय नंद, नभोमणि इक्ष्वाकु, वृष राशि नक्षत्र शुभ कृतिका रोधभवाकु ........... श्रावण वद नोमे चव्या, राध वद चौदश जात, स्तुभ लंछन पांत्रीश धनुष, देह सोवन सुजात....२.... गजपुरी पुर मंडनो, संयम सहसशुं लाय, माधव वदि पंचमी दिने, गुणगण सुर नर गाय....३..... For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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