Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 73
________________ चोवीसी सहस पंचावन वर्ष आय, समेत शैल किरतार, पंच सया सह शिव वर्या, सह शुदि दशमी सार........... गर्भमास नव सात दिन, तीरथ यक्ष कुबेर, संघतणी सेवा करे, वैरोट्या धरी महेर.... ६..... मुनिसुव्रत स्वामी नुं [२०] [ ६७ ] 800 सुमित्र पद्मा नंदलो, हरिवंश नभ भाण, श्रावण उडु राशि मकर, प्रणमे सुर नर राण .... १ श्रावण राका दिन चव्या, जेठ वद आठम जात, कच्छप लंछन शामळा, वीश धनु तनु तात ....२..... राजगृही नगरी धणी, संयम सहस संगाथ, फागण शुदि बारश ग्रहे, त्रि जग जन्तु नाथ....३..... फागण वद वारश तरु, चंपक केवल सार, त्रीश सहस मुनि साधवी, पचास सहस परिवार.... ४.... आयु त्रीश सहस वरस, जेठ वद नोम उदार, साधु-साधवी सहसशुं समेत शैल भव पार.... ५.... गर्भमास नव आठ दिन, यक्ष वरुण वर सुर, नरदत्ता संघने सदा, आपे सुख भरपूर.... ६...... नमिनाथ तु [२१] विजयराय वप्रातणो, नंद इइक्ष्वाकु वंश, भ अश्विनी राशि मेष, जगजंतु अवतंस.... १..... आसो शुदि राका च्यवन, नभ वदि अष्टमी जात, नीलकमल अंक हेम वर्ण, पंदर धनुष विख्यात....२.... मिथिला नगरी राजीयो, संयम सहसशुं सार, अषाढ वदि नवमी ग्रयुं, हुओ जय-जयकार....३..... सह शुदि अकादशी, तरु बकुल केवल धार, वीश सहस मुनि संयति, अकतालीश हजार.... ४..... वरस सहस देश आउखु, सहस मुनिवर साथ, राध वदि दशमी वर्या, समेत शैल शिवनाथ.... ५..... For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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