Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 74
________________ [ ६८ ] गर्भवास नव मास दिन, अष्ट भृकुटी यक्ष, मात गंधारी सेवना, नित्य करे प्रभु पक्ष.... ६..... नेमिनाथ तु [२२] समुद्रविजय शिवातणो, नंद हरिवंश केतु, भ कन्या चित्रा उडु, सुंदर भव सेतु....१... उर्ज वदि बारश चव्या, नभ शुदि पंचमी जात, शंख लंछन ने शामळा, दश धनु तनु अवदात....२.... शौरिपुरी नयरी धणी, ओक सहस संगाथ, चैत्यवंदन आ ब्रह्मचारी व्रत धर्यु, श्रावण शुदि छठ नाथ....३..... आसो अमासे केवली, वेतस तरु छाय चालीश सहस सुसंयति, अढार सहस मुनिराय.... ४.... आयु सहस अक त्रर्षनुं, शुचि शुद आठम सार, पांचशे छत्रीश मुनि सहित सिद्धि वर्या गिरनार.... ५..... गर्भमास नव आठ दिन, गोमेध यक्ष सनूर, > } सूरि अंबिका संघनां विघ्न करे चकचूर.... ६..... पार्श्वनाथ [२३] इक्ष्वाकु कुल अश्वसेन, वामा कुख सर हंस, तुला विशाखा राशि रूक्ष, त्रण जगत पर शंस ....१..... चैत्र वदि चोथे चव्या, पोष दशमीओ जात, नील वरण लंछन अहि, तन नव हाथ विख्यात.... २.... वाणारसी नयरी धणी, त्रणशें सह सौभागी, पोष वदि अकादशी, लहे व्रत वड वैरागी....३.... चैन वदि चोथे तरु, ध्वज तळे केवल लीध, सहस आडीश संयति, सोळ सहस मुनि कीध .... ४..... अक शत वर्षनुं आउखु, नभ शुद आठम दिन, तेत्री मुनि साथै समेत, सिद्ध्या नाथ नगीन.... ५.... गर्भवास नव मास दिन, खट धरणेन्द्र सुदेव, शासन सूरी पद्मावती, सार करे नित्यमेव.... ६.... For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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