Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
View full book text
________________
चोवीसी
[१३]
गजपुरी राजा विश्वसेन, कुल मुगट नगीनो, चालीश धनुष प्रमाण देह, में साहिब कीनो...२... सोवन वर्ण तनु राजतो ओ, वरिस लाख जस आय, मानविजय वाचक भणे, जिन नामे सुख थाय...३...
कुंथुनाथ नु [१७] कुंथुनाथ जिनराज आज, में नयणे दीठो, सकल दूरित दूरे गयो, भवभव सवि नीठो... गजपुर नयरे सुर राय, श्री राणीले जनम्यो, सहस पंचाणु वर्ष आय, सुरनरपति प्रणम्यो...२... पूरण पांत्रीस धनुष तनु ओ,अज लंछन अभिराम, मानविजय वाचक मुदा, नितु नितु करे प्रणाम...३...
अरनाथ नु [१८] आराधो अरनाथने, शिवसुख ने आपे, कर्म अरिथी छोडवे, भब-बंधन कापे...१... राय सुदर्शन कुलमणि, गजपुर अवतारी, त्रीश धनुष पीत वरण, प्रणमो नरनारी...२... सहस चोराशी वरसन अ, जीवित देवी जात, लंछन नंदावर्त जुत, मान कहे विख्यात...३...
मल्लिनाथ नु [१९] मल्लि जिणेसर मोहमल्ल, जिणे जित्यो हल्ल, हल्ल भल्ल करतां शुभ, प्रणमे जस भल्ल...१ मिथिला नयरी कुंभराय, कुल कमल विकासी, प्रभावती राणी जण्यो, नीलुत्पल भासी...२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110