Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 44
________________ चैत्यवंदन - वृश्चिक योनि पद्मप्रभ, छद्मस्था षट मास, तरू छत्रौधे केवली, लोकालोक प्रकाश...२.. त्रण अधिक शत आठशं, पाम्या अविचल धाम, वीर कहे प्रभु माहरे, गुण श्रेणी विश्राम...३ सुपार्श्वनाथ - [७] गेवीज छठेथी चविया, वाणारसीपुरो वास, तुला विशाखा जनम्या, तप तपिया नव मास...१... गण राक्षस वक योनि, शोभे स्वामी सुपास, शिरिष तरु तले केवली, ज्ञेय अनंत विलास...२... महानंद पदवी लहीओ, पाम्या भवनो पार, श्री शुभ वीर कहे प्रभु, पंच सया परिवार...३... __ चंद्रप्रभु नु[८] चंद्रप्रभ चंद्रावती, पुरि चविया विजयंत, अनुराधाले जनमिया, वृश्चिक राशि महंत...१... मग योनि गण देवनो, केवल विण त्रिक मास, पाम्या नाग तरु तले, निर्मल नाण विलास...२... परमानंद पद पामिया, वोर कहे निरधार, साथे सलूणा शोभता, मुनिवर अंक हजार...३. सुविधिनाथ नु [६] सुविधिनाथ सुविधे नमुं, श्वान योनि सुखकार, आव्या आणत स्वर्गथी, काकंदी अवतार...१. राक्षस गण गुणवंतने, धन राशि रिख मूल, वरस चार छद्मस्थमां, कर्म शशक शार्दूल...२... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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