Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
View full book text
________________
[२०]
चैत्यवंदन धनुष पिस्तालीश देह मान, वज्र लंछन धायो, वरस लाख जस आउखु, हेम वर्ण सुहायो...२... रत्नपुरी नयरी धणो अ, पन्नरमा भगवंत, रूपविजय कहे भवि तुमे, आराधो अरिहंत...३...
शांतिनाथ नु [१६] शांतिकरण श्री शांतिनाथ, गजपुर धणी गाजे, विश्वसेन अचिरा तणो, सुत सबल दोवाजे... चालीश धनुष कनक वर्ण, मृग लंछन छाजे, लाख वरसनुं आउखु, अरिजन मद भाजे...२... चक्रवर्ती प्रभु पांचमाओ, सोलसमा जगदीश, रूपविजय मन तुं वस्यो, पूरण सकल जगीश...३...
कुथुनाथ नु [१७] सत्तरमा श्री कुंथुनाथ, श्री राणीले जायो, गजपुर नगरे सुर राय, ‘उद्भट बाय सुवायो...१ सहस पंचाणुं वर्ष आयु, छाग लंछन ध्यायो, धनुष पांत्रीश देहडी, हेम वर्ण सोहायो...२... चोसठ सहस वधु धणी, पायक संघ न पार, रूपविजय कहे साहिबा, तुं तरियो मुज तार...३...
अरनाथ नु [१८] राय सुदर्शन गजपुरे, देवी पटराणो, लंछन नंदावर्त जास, अरजिन गुणखाणी...१... त्रीश धनुष वर देहडी, हेम वर्णे जाणी, वर्ष चोराशी सहस आयु, कहे जिनवर वाणी...२...
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/2e37bfc6c3823e2afa1091f121fff725349bb2709b598b151d96a439e67025f0.jpg)
Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110