Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan
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[३२]
चैत्यवंदन
वदि बीजे वैशाख नी, मोक्ष गया जिनराज, ज्ञानविमल जिन नामथी, सीझे सघलां काज...३...
श्रेयांसनाथ न [११] अच्युतकल्प थकी चव्या, श्री श्रेयांस जिणंद, जेठ अंधारी दिवस छठे, करत बहु आनंद...१... फागण वदि बारशे जनम, दीक्षा तस तेरस, केवली महा अमावशी, देसन चंदन रस...२... वदि श्रावण त्रीजे लह्या, शिवसुख अक्षय अनंत, सकल समीहित पूरणो, नय कहे जे भगवंत...३...
वासुपूज्य नु [१२] प्राणतथी इहां आविया, ज्येष्ठ शुदि नवमी, जनम्या फागण चौदशी, अमावासी संजमो...१... महा शुदि बीजे केवली, चौदश आषाढी, शुदि शिव पाम्या कर्म कष्ट, सवि दूरे काढी...२... वासुपूज्य जिन बारमा, विद्रुम रंगे काय, नयविमल कहे इस्युं, जिन नमतां सुख पाय...३.
विमलनाथ नु [१३] अट्ठम कल्प थकी चव्या, माघव शुदि बारश, शुदि महा त्रीजे जण्या, तस चोथे व्रत रस...१. शूदि पोष छठे लह्या, वर निर्मल केवल, वदि सातमनी आषाढनी, पाम्या पद अविचल...२... विमल जिणेसर वंदिओ, ज्ञानविमल करी चित्त, तेरसमो जिन नित दिये, पुण्य परिगल वित्त...३...
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