Book Title: Chaityavandan Chauvisi
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 22
________________ [१६] चैत्यवंदन - अजितनाथ नु [२] अजित अयोध्याना धणी, गज लंछन गाजे, जितशत्रु विजया तणो, सुत अधिक दिवाजे...१... साडा चारसो धनुष देह, हेम वर्ण विराजे, बोंतेर लाख पूर्व आयु, त्रिभुवन पति छाजे...२... समेतशिखर अणसण करिअपहोंच्या मुक्ति मोझार, रूपविजय कहे साहिबा, आवागमन निवार...३... संभवनाथ नु [३] संभवनाथ सदा जयो, मनवंछित पूरे, हय लंछन हेमवर्ण देह, टाळे दुःख दूरे...१. राय जितारी कुल तिलक, सावत्थी राय, सेना माता जनमिओ, जगमां सुजश गवाय...२... धनुष चारसो देहडीओ, साठ लाख पूर्व आय, विनयविजय उवज्झायनो, रूप नमे नित्य पाय...३... अभिनंदन नु [४] उंचपणे त्रणसो पचास, धनुष्य प्रभु देह, संवर राय सिद्धारथ, सुतशुं मुज नेह...१... लाख पचास पूर्व आयु, अयोध्यानो राणो, सुवर्ण वर्ण विराजतो, कपि लंछन जाणो...२... अभिनंदन प्रभु विनतीजे, अंतर्यामी देव, विनयविजय उवज्झायनो, रूप नमे नित्यमेव...३... सुमतिनाथ नु [५] मेघराय मंगला धणी, मंगला पटराणी, धनुष त्रणसो देहमान, लंछन क्रोंच जाणी...१... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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