Book Title: Bhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
View full book text
________________
१०
ब्रह्म गुलाल
गये तो फिर सदा के लिये हो गुनि बन गये। इनकी यब तक निम्न रचनायें उपलब्ध
हो चुकी है।
१. पन क्रिया (सं. १६६५) २. कृपण जगावन हार
३. धर्म स्वरूप
राजदारण २
५. जलगालन क्रिया
६. विवेक चौपई
७. कक्का बत्तीसी ( १६९५ )
5.
गुलाल पच्चीसी
९. चौरासी जाति की जयमाल १७ वर्धमान समसरन वर्णन ११. फुटकर कवित्ता
उक्त सभी रचनायें राजस्थान के विभिन्न शास्त्र भण्डारों में उपलब्ध होती है । डा. प्रेमसागर जैन ने इनकी केवल ६ रचनाओं के ही नाम गिनाये हैं ।
१. वर्धमान समोसरण वर्णन यह इनकी प्रथम रचना मालूम देती है जिसको उन्होंने संवत् १६२६ में हस्तिनापुर में समाप्त की थी जैसा कि निम्न पाठ में उल्लेख मिलता है
१.
२.
वै
४.
सोलह अठबीस में गाध द सुदी पेस
गुलाल ब्रह्म मनि जीत इसी जयौ नंद को सीख | कुस देश हमनापुरी राजा विक्रम साह गुलाल ब्रह्मजिनधर्म जय उपमा दीजे काह
2. त्रेपन क्रिया - इसका दूसरा नाम ओपन क्रिया कोश भी मिलता है। इस काव्य में जनों की ओपन क्रियाओं का वर्णन मिलता है । इसकी रचना स्थान ग्वालि पर एवं रचना संवत् १६६५ कार्तिक बुदी ३ है । रचना सामान्यतः अच्छी है । इसमें कवि ने अपने गुरू मट्टारक जगभूषण का भी उल्लेख किया है ।४
ग्रन्थ सूची भाग २ पृष्ठ संख्या ७
वही पृष्ठ संख्या ९८
शास्त्र भण्डार दिगम्बर जैन मन्दिर वर (राजस्थान) ए त्रेपन विधि करहु क्रिया मवि पाप समूह चूरे हो सोर सठि संच्छर कातिग तीज ग्रंथियारो हो । भट्टारक जग भूषण चेला ब्रह्म गुशल विचारी हो ब्रह्म गुसाल विचारि बनाई गढ़ गोपाचल यानं छत्रपती च चक्र बिराजे साहि रुलेम मुगलाने ||
प्रशस्ति संग्रह पृष्ठ २२०