Book Title: Bhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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चौबीस तीर्थकर देह प्रमाण चौपाई समलिनाथ वर मति दातार ।
उतारे भव सागरनो पार ।। धनुष त्रिण से सोहे देह ।
जात रोचि पूजो जिन एह ॥ ॥ ५ ॥ पमकांति करुणा कर क्षेत्र ।
सुर नर फिन्नर सारे सेव ।। चाप अहीसे मूरति मान ।
अरुण अनुपम दीये बानि ॥ ६ ॥ से वो सुंदर देव सुपास ।
जि पूरे वर मननी प्रास ।। उच पणे तनु शत युग चाप ।
नील वरण टाले संताग || .७ ।। चन्द्रमास चंद्रानन भलो।
शत मुख सेव करे लगतिलो ।। घनुप डोस मो मान जिगणंद ।
गोर कांति टाले भव फंद ॥ ८ ॥ पुष्पदंत सेवो मन शुद्धि।
जे पाये अति निर्मल बुद्धि ।। सोज सरामान तनु उत्तग ।
___ऊनलड्डू सोभे जसु अंग ॥ ६ ॥ शीतलनाथ सुशीतल यांगिा ।
जे जिनयर गुण गानी खाणि ॥ नेक चाप शरीर अनुज ।
हेम वरण सेवे जस भूप || १० ॥ सेको देव भलो याम ।
जे मापे मन बंछित दान ।। ऊंच पणे विमऊ .... ।
धनुष हेम सम तनु जगदीश ॥ ११ ॥ पामुपूज्ये पूजो मन रंग ।
जे पहिरे नवि भूषरण म || सित्यर चार अरूणस्यु रूप
तेह नित्य उद्वेषो चूप ॥ १२ ॥