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________________ २१ चौबीस तीर्थकर देह प्रमाण चौपाई समलिनाथ वर मति दातार । उतारे भव सागरनो पार ।। धनुष त्रिण से सोहे देह । जात रोचि पूजो जिन एह ॥ ॥ ५ ॥ पमकांति करुणा कर क्षेत्र । सुर नर फिन्नर सारे सेव ।। चाप अहीसे मूरति मान । अरुण अनुपम दीये बानि ॥ ६ ॥ से वो सुंदर देव सुपास । जि पूरे वर मननी प्रास ।। उच पणे तनु शत युग चाप । नील वरण टाले संताग || .७ ।। चन्द्रमास चंद्रानन भलो। शत मुख सेव करे लगतिलो ।। घनुप डोस मो मान जिगणंद । गोर कांति टाले भव फंद ॥ ८ ॥ पुष्पदंत सेवो मन शुद्धि। जे पाये अति निर्मल बुद्धि ।। सोज सरामान तनु उत्तग । ___ऊनलड्डू सोभे जसु अंग ॥ ६ ॥ शीतलनाथ सुशीतल यांगिा । जे जिनयर गुण गानी खाणि ॥ नेक चाप शरीर अनुज । हेम वरण सेवे जस भूप || १० ॥ सेको देव भलो याम । जे मापे मन बंछित दान ।। ऊंच पणे विमऊ .... । धनुष हेम सम तनु जगदीश ॥ ११ ॥ पामुपूज्ये पूजो मन रंग । जे पहिरे नवि भूषरण म || सित्यर चार अरूणस्यु रूप तेह नित्य उद्वेषो चूप ॥ १२ ॥
SR No.090103
Book TitleBhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages269
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & Story
File Size4 MB
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