Book Title: Bhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
View full book text ________________
भरत बाहुबली छन्द
त्यारे महिमति मन्त्री मलीना।
मन्त्रपिचार विषय प्रतिकलीमा । ते सहु मन्त्र विचारो मोटा । जेहना मोल न थाये खोटा ॥ १२४ ॥ स्यान्हे क्षत्रिय भट संहारो। चारू एक विचार विचारो। ए बेहु चरम शरीरी राजे ।एहने नवि कांटो पण साजे ॥ १२५ ।। ए सुन्दर नर संयम पामों । कर्महणीने शिवपद गामी। ते थी बात विचारो वेहेली। जेम भाजे सघलीए जे हेली ॥ १२६ ।।
परस्पर में तीन प्रकार के युद्ध करने का निर्णय : प्रण्य युद्ध त्यारे सह थेठां। नीर नेत्र मल्लाहव परठ्यां । जे जीते ते राजा कहीये । तेहनी प्राण विनय सु वहीये ।। १२७ ।। बह विचार करीने मरवर । पाल्या सह साथे मच्छर भर । दी चारू सरोवर बिमलं । भरी नीरह सित सित कमलं ॥ १२८ ।।।
जलयुद्ध अति गम्भीर तरल तरने हरि । पेंटा भूप अपर पट पेहेरी । झीले भूप भया बहु ऑटें | माहा माहे रमें जल छांटे ॥ १२६ ॥ रमतां भरत तणायो रेलें । हारमो सहु जोतां जल बेलें । स्पारे बाहुबली दल हरस्यु । मरत कटक मन मठ प्रतिनिरष्यु ॥ १३० ।।
नेत्र युद्ध नेत्र युद्ध करता पण हार्यो । बामली महाबल जयकारयो ।। १३१ ।। चाल्या मल्ल प्रसाई बलीमा । सुरनर किन्नर जोवा मलीना। काछ्या काछ कशीकर तांगी। बोले बांगड़ बोली वाणी ॥ १३२ ।।
मल्ल युद्ध
भुजा दण्ड मन मुड समाना । ताडता बंषोरे नाना । हो हो कार करि ते घाया। बच्छोवच्छ पड्या ते राया ॥ १३३॥ हरकारे पव्वारे पाडे । बलगा अलग करी ते पाडे । पग पडघा पोहो वीतल बाजे। कड़करता तम्बर ते भाजे ॥ १३४ ।। नाठा वनचर पाटा कायर । छूटा मन गल फूटा सायर । गड़गड़ता गिरिवर ते पडोनां । फलकरंता फरिगपति उरीमा ।। १६५ ।।
Loading... Page Navigation 1 ... 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269