Book Title: Bhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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पद एवं गीत
१८८
ए तो कष्ट करीने पामीयोरे, मानव भव अवतार । ते निष्फस में नीगम्यो कहु साभली तेहनी बात रे ॥ २ ॥ में कपट कीधा अति पाडुमा रे, रचियों प्रति परपंच । मम मो सालि बोलिया, बलि पोस्यां इंद्रिय पांच रे ॥ ३ ॥ शोध पिशाचि हुँ नम्यो रे, इसियो काम मुजुग। लहेरखाजी महा मोहनी, हुँ तो राथ्यो पर त्रिय सगरे ।।४।। लोभ लंपट थयो प्रति घणु रे, धन परियण ने काजि | जोवन मद मातो थयो, तिणे प्राण्यो घणू एक वाजिरे ॥ ५ ॥ या पंखा अधिरे, झोपी परनी ताति । कूडा प्रालि चहावियो, थयो उन्मत्त दिनराति रे ॥६॥ मन वांछित सुख कारणे रे, कीषा पाप अधीर | मति उज्जलना कारणे, धोयो कादय मांहि चीर रे ॥ ७ ॥ कम कीधा प्रण जाणता रे, ते के कहेता थाय से लाज । ए मन मादा में घणु कहु ते कोहने जई प्राजार ॥ ८ ॥ हवे तु जग गुरु मझने मल्योरे जगजीवन जगनाथ । सूरी कुमुदचन्द करे वीनती, निज सेवक कीजे सनाय रे ॥ ६ ॥
राग परजीरः
बालि वालि तु वालिम सजनी, विण अवगुण फिम छडी नारि । तोरण थी पाछो जे बलियो, जइ चढियो गिरि गठ गिरिनारि ॥१॥ लीधो संयम श्री जिनराज सुन्दर सहेसावन्न मझारि । सुरनर किनर को महोछव, जिम बलता नावे संसार ।। २ ।। रोम हवेस्यु करियो पोफट, ते यदुनंदन नावे बार। कुनुदचन्द्र स्वामी सामलियो, उतारे भव सागर पार ।। ३ ॥
राग परजोयो:
लाल लाल लाल लाल तु माजासरे। तोरण थी पाछो बल्यो ताहरी लोक करस्ये हास । यदुनंद रे, सुख कंदरे, नेम एक सालो माहरी बीनती।
जिम वाधे ताहरी माम। लोधा बोलज मूकता स्यु रहस्ये ताहरू नाम ।यदु। १ ।।