Book Title: Bhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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विद्यासागर
रलकीर्ति पाटे कुमुदचन्द्र गोर, बहुजन दे आशीष । तस पाटि श्री अभयचन्द्र गोर प्रतपो कोडि वरीष । ९ । संघ सहूनें ए पति बाइलो, धर्मसागरस्यु नेह । कहे दामोदर सेयो सज्जन, वांछित कण छ मेह । १७
प्रस्तुत गीस को पण्डित श्रीपाल के पुत्र अखई के पठनार्य लिखा गया था ऐसा भी उल्लेख मिला है।
५७. कल्पालसागर
कल्याणसागर भट्टारकीय पंडित थे तथा प्रसारक रस्मकीर्ति के संघ में रहते थे। इनके प्रश्न तक चार गीत मिले हैं जिनके नाम है क्षेत्रपाल गीत, नेमिजिन गीत, मीत एवं पद ।
५८. प्राणंदसागर
ये भट्टारक शुभचन्द्र के संघ में रहते थे । इनके द्वारा लिखे हुए तीन गीत मिले हैं और वे सभी शुभचन्द्र की प्रशंसा में लिखे गये हैं।
५९. विद्यासागर
विद्यासागर ने अपनी चन्द्रप्रभनी विनती में अपना परिचय देते हुए लिखा है कि वे भट्टारक शुभचन्द्र के शिष्य थे । वे बलात्कारमण एवं सरस्वती गच्छ के माधु थे। चन्द्रप्रभ विनती को इन्होंने संवत् १७२४ में समाप्त किया था। इनकी अब तक निम्न रचनायें उपलब्ध हो चुकी हैं
१. सोलह स्वप्न २. जिन जन्म महोत्सव ३. सप्तव्यसन सबैय्या ४, दर्शनाष्टांग ५. बिपापहारस्तोत्र भाषा ६. भूपालस्तोत्र भाषा ७. रविव्रत कथा ८. पद्मावतीनी बिनती ९. चन्द्रप्रभनी विनती