Book Title: Bhattarak Ratnakirti Evam Kumudchandra Vyaktitva Evam Kirtitva Parichay
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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भट्टारक रनकीति पदों की विषय वस्तु बनाया। उनके समय में मीरा एवं सुरदास के राधा कृष्ण से सम्बन्धित पद लोकप्रिय बन चुके थे और भक्ति रस से ओतप्रोत भक्त को उनके अतिरिक्त कुछ नहीं दिख रहा था भट्टारक रत्नकीति ने समय की गति को पहिचाना और अपने अनुयाथियों एवं समाज का ध्यान आकृष्ट करने के लिये नेमि गजुल कथन को इतना उछाला कि उसमें उन्हें पूर्ण सफलता प्राप्त हुई । राजुल के मनोगत भावों को व्यक्त करते समय के कभी स्वाभाविकता से दूर नहीं हठे और जो कुछ भाव तोरण द्वार से लौटने पर अपने पति के प्रति किसी नयोद्धा के होने चाहिये उन्हीं भावों को अपने पदों में उतारने में उन्हें प्राशातीत सफलता मिलीं ।