Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री भक्तामर महामण्डस पूषा
-- कनकादिनिभं क्रम, पावनं पुण्य कारणम् । स्थापयामि परं पीठं, जिनस्नानाय भक्तित: ॥४॥
प्रों ही उच्चचतुष्पाद कमनीयस्थाल्यां सिंहासनस्थापनम् । भृङ्गार-चामर-सुदर्पण-पीठ-कुम्भताल-ध्वजा--तप-निवारक—भूषिताने । वर्धस्व नन्द जय पाठपदावलीभिः,
सिंहासने ! जिन भवन्तमहं श्रयामि ।।५।। वृषभादिसुवीरान्तान्, जन्माप्ती जिष्णुचितान् । स्थापयाम्यभिषेकाय, भक्त्या पोठे महोत्सबै: ॥६॥
ॐ ह्रीं महं श्रीधर्मसीर्याधिनाथ ! भगवनि पांडकशिलपी 1 सिंहासने तिष्ठ तिष्ठ । इति प्रतिमास्थापनम् । घण्टानाक्षपूर्वक दबपोषश्चेति 1 जहां तक हो प्रतिमा विमानाथ भगवान की ही स्थापित को बाग।
श्रीतीर्थकृत्स्नपन-बर्यविधी सुरेन्द्रः, . क्षीराब्धिवारिभिरपूरयदर्थ-कुम्मान् । तांस्तादृशानिव विभाव्य यथार्हनीयान् संस्थापये कुसुमचन्दनभूषिताग्रान् !७॥ शातकुम्भीयकुम्भौघान् क्षीराब्धेस्तोयपूरितान् । स्थापयामि जिनस्नाने, चन्दनादिसुचितान् ॥८॥ मों ह्रीं स्वस्तये चतु:कोणेषु चतुःकलशस्थापन फरोमि । कौकी पर चारों दिशाओं में चार कलश स्थापित किये वाव ।
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