Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 85
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पूजा - - - - - - - - - . . .. . - --. . the battle-ficld trade terrible with warriors, engaged in crossing speedily the flowing currents of the river of the blood-water of the clephants picrced with the pointed spears, 43, सर्वापत्तिविनाशाक अम्भोनिधौ क्षुभितभीषण - नऋचक्र-- पाठीनपीठ - भयदोल्वरण - वाडवाग्नौ । रङ्गत्तरङ्ग शिखरस्थित - यानपात्रा स्त्रासं विहाय भवतःस्मरणाद् ब्रजन्ति ।।४४।। कल्पान्तवातेन गतं विकारं, सचक्रमकादिकजीवपूर्ण । अब्धि समुत्तीर्य नरो भुजाभ्यां प्रयाति शीघ्रं तव पादचित्तः ।।४४।। वह समुद्र कि जिसमें होव, मच्छ मगर एवं घडियाल । तुफां लेकर उठती होवें, भयकारी लहरें उत्ताल । भ्रमर-चक्र में फंसी हुई हो, बीचों बीच अगर जल-यान । छुटकारा पा जाते दुख से, करने वाले तेरा ध्यान ।।४४।। (ऋद्धि) ॐ ह्रीं अर्ह पमो प्रमयसवीणं । (मंत्र) ॐ नमो रावणाय विभीषणाय कुम्भकरणाय लङ्काधिपतये महाबलपराक्रमाय मनश्चिन्तितं कुरु २ स्वाहा (!)। (विधि) श्रद्धासहित ऋद्धि-मंत्र की प्राराधना से सब प्रकार की मापत्तियाँ हट जाती हैं ॥४४॥

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