Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्री भक्तामर-महामण्डल पूजा
अर्थ-हे भक्सवरसल ! अापके निष्कलङ्क प्रनन्त गुणों का बारम्बार चितवन करने वाले शरणागत मानवों के विकराल मुंह फैलाये हए इधर-उधर लहराते विशालकाय मच्छ मगर आदि अल जन्तुओं से प्रोत-प्रोत और भयावनी बडवाग्नि से विक्षम्य हो रहे समुद्र को तूफानी लहरों में जगमगाते जल-पोत बिना विपत्ति के निर्भयतापूर्वक प्रपारपारावार से पार हो जाते हैं । अर्थात् मापके स्मरण से भक्तों पर पाई हुई प्राकस्मिक आपत्तियां प्रविलम्ब विलीन हो जाती हैं ॥४४॥ ॐ ह्रीं संसाराधितारणाय क्लीमहावीजाक्षरसहिताय
श्रीवृषभजिनेन्दाय अर्यम् ।४४१ Ben on liiki (2011, which was e dreadful submarine fire, the agitated and therefore, terrific alligators and fishes fearlessly move those, though tlicir ships are placed on high dashing waves, who but remember Thee,44.
जलोदरादिरोग एवं सपित्तिहारक उद्भूतभीषण - जलोदर - भारभुग्नाः,
शोच्यां दशामुपगताश्च्युतजीविताशा: । त्वत्पादपङ्कजरजोमतदिग्धदेहा:,
मा भवन्ति मकच्चजतुल्यरूपाः ॥४५॥ जलोदरः कुष्टकुशुलरोगैः,
शिरोव्यथा - व्याधिबहुप्रकारः । सुपीडितानां भवतिक्षणे हि,
विरोगिता स्वस्मरणात्प्रभोऽत्र ॥४५॥