Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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थी भक्तामर महामण्डल पूजा
- - - - -- जिसके नेत्र दुखते हों, उसे दिन भर भूखा रखकर बतासे जल में घोल कर पिलाये जायें या नेत्रों पर छींटे दिये जावे तो नेत्र को आराम हो जासा है । मंत्रित जल कुंए में छिड़कने से लाल कीड़े कुंए में नहीं होने पाते । यन्त्र अपने पास रखना चाहिये।
६-२१ दिन तक प्रतिदिन १००० जाप करने से और यन्त्र अपने पास रखने से विद्या प्राप्त होती है । बिछुड़ा हुआ व्यक्ति प्रा मिलता है। मन्त्र ऋद्धि का जाप लाल वस्त्र पहिन कर करना चाहिए, पृथ्वी पर सोना तथा एक बार भोजन करना चाहिये, लाल फल चहाना चाहिये अथवा कुन्दरू की धूप खेन। पहि
७.-प्रतिदिन हरी माला से १०८ वार ऋद्धि मन्य २१ दिन जपना चाहिये । ऐसा करने से तथा यन्त्र को गले में बाधने से सांप का विष प्रमाय नहीं करता। यदि १०८ वार ऋद्धि मंत्र से कंकड़ी मंत्रित करके सर्प के शिर पर मारी जावे तो सर्प कीलित हो जाता है । लोबान की धूप खेना चाहिये । यन्त्र हरा होना चाहिये।
-प्ररीठे रीठा के बीजों को माला के द्वारा २१ दिन तक १००० जाप करने से तथा यन्त्र को अपने पास रखने से सब प्रकार का परिष्ट दूर होता है । यदि नमक के छोटे टुकड़ों को १०८-१०८ वार मंत्र पढ़कर मंत्रित करके पीडायुक्त किसी अंग को झाड़ा जावे तो पीड़ा दूर हो जाती है । घी भौर दूध खेना चाहिये तथा नमक की डली से होम करना चाहिये।
E-एक सौ पाट पार ऋद्धि मंत्र द्वारा पार ककड़ियों को मंत्रित करके यदि उनको चारों दिशाओं में फेंका जावे तो चोर डाकू आदि का किसी तरह का भय नहीं रहता।