Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 98
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पूजा भक्तामर स्तोत्र के मन्त्रों की साधन विधि भक्तामर - ३ ४८ श्लोकों के जो ४. सम्म , ननकी माधन विधि तथा फल क्रमशः नीचे लिखे अनुसार हैं : --प्रतिदिन ऋद्धि और मन्त्र १०८ वार जपने से तथा यन्त्र पास रखने के सव तरह के उपद्रव दूर होते हैं । -काले वस्त्र पहन कर, काले प्रामन पर दंडासन से बैठकर, काली माला से पूर्व दिशा की ओर मुख करके प्रतिदिन १०८ बार ऋद्धि, मंत्र २१ दिन तक अथवा ७ दिन तक प्रतिदिन १००० अपना चाहिये इससे शत्र तथा शिर पीड़ा नष्ट होती है। यन्त्र पास रखने से नजर बन्द होता है । इन दिन में एक बार भोजन करना चाहिये तथा प्रतिदिन नमक से होम करना चाहिए। ३---कमलगट्टा को माला से ऋद्धि और मन्त्र ७ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार जपना चाहिये । होम के लिये दश.गधूप हो और गुलाब के फूल चढ़ाये जावें । चुल्लू में जल मंत्रित करके २१ दिन तक मुख पर छींटे देने से सम्म प्रसन्न होते हैं । यन्त्र पास में रखने से शत्रु को नजर बन्द हो जाती है। ४---सफेद माला द्वारा ७ दिन तक प्रतिदिन १००० बार ऋद्धि और मंत्र जपना चाहिये, सफेद फूल चढ़ाना चाहिमे । पृथ्वी पर सोना तथा एकाक्षन करना चाहिए । यदि कोई मछली पकड़ रहा हो तो २१ कंकड़ियां लेकर प्रत्येक कंकड़ो ७ बार मंत्र पढ़ कर जल में डाली जावे तो एक भी मछली जाल या कांटे में न पायेगी। ५-पीला वस्त्र पहिन कर सात दिन तक १००० ऋद्धि, मंत्र प्रतिदिन जपना, पीले फूल चढ़ाना तया कुन्दरू की धूप जलाना चाहिये।

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