Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
View full book text
________________
थी भक्तामर महामण्डल पूजा
इत्याशीर्वादः । परिपुष्पालि क्षिपेत् । दोर्धारस्तु शास्त. एकोलिनस्तु ,
सद्बुद्धिरस्तु धनधान्य-समृद्धिरस्तु । प्रारोग्यमस्तु विजयोऽस्तु महोऽस्तु पुत्र
पौत्रोद्दोऽस्तु तय सिद्धपति-प्रसादात् ॥
पुष्पाञ्जलि क्षिपेत् ।
अथ शान्ति--पाठ शास्त्रोक्त विधि पूजा महोत्सव, सुरपती चक्री करें। हम सारिखे लघु पुरुष कैसे, यथाविधि पूजा रचें। धन-क्रिया-ज्ञान-रहित न जानें, रीति पूजन नाथ जी । हम भक्तिवश तुम चरण आगे, जोड़ लीने हाथ जी ।। दुख हरन, मंगल करन, पाशाभरन, पूजन जिन सही । यह चित्त में श्रद्धान मेरे, भक्ति है स्वयमेव ही ॥ तुम सारिखे दातार पाये, काज लघु जाचों कहा । मुझ आप सम कर लेहु स्वामी, यही इक बांछा महा ॥ संसार भव-बन विकट में वसुकर्म मिल पातापियो। तिस दाह से पाकुलित चिरतें, शांति-थल कहुँ ना लियो । तुम मिले शान्ति स्वरूप शान्ति, सुकरण समरथ जगपती। वसुकर्म मेरे सान्त करदो, शान्तिमय पंचम-गती ॥ जब लों नहीं शिव लहों तब लों, देहु यह धन पाबना । सत्सङ्ग शुद्धाचरण श्रुत, अभ्यास प्रातम भावना ।।