Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 103
________________ श्री भक्तामर महामण्डस पूजा २६--ऋद्धि तथा मन्त्र के द्वारा १०८ बार मंत्रित जल पिलाने से भौर मंत्र को पास रखने से दुखती हुई प्रासं अच्छी हो जाती हैं, बिच्छू का विष उतर जाता है। ३०-मंत्र की माराधना करने तथा यन्त्र अपने पास रखने से शत्रु का स्तम्मन होता है, चोर तथा सिंहादि का भय नहीं रहता । ३१ --मन्त्र अपने पास रखने तथा मन्त्र की जाप से राज्य में सम्मान होता है, दाद, खुजली आदि चर्मरोग नहीं होते। ५२ कुमारी कन्या के द्वारा कासे हुए सूत को ऋद्धि मन्त्र द्वारा मंत्रित करके, उस सूत को गले में बांधने से यौर यन्त्र पास रखने से संग्रहणी आदि पेट के रोग दूर हो जाते हैं। ३३-मुमारी कन्या द्वारा काते हुए मूत को ऋद्धि मंत्र द्वारा २१ बार मंत्रित करके, उस सूत का गंडा गले में बांधने से, झाड़ा देने तथा यंत्र पास में रखने से एकातरा ज्वर, तिजारो, ताप मादि रोग दूर होते हैं । गुग्गुल मिथित बी की धूप खेना चाहिये । २४..-कसूम के रंग में रंगे हुए सूत को ऋद्धि मंत्र द्वारा १०८ बार मंत्रित करके तथा उसको गुग्गुल का धूप देकर बांधने से और यंत्र पास में रखने से गर्भ असमय में नहीं गिरता।। ३५--ऋद्धि मन्त्र की आराधना करने यन्त्र पास रखने से दुभिक्ष, चोरी, मरी, मिरगी. राजभय भादि नष्ट होते हैं । इस मंत्र की माराधना स्थानक । ! ) में करनी चाहिये और यंत्र का पूजन करें। ३६ -ऋद्धि मंत्र की माराधना से और यंत्र पास रखने से सम्पत्ति का साभ होता है। विधान-१२.० जाप लाल पुष्प द्वारा करना चाहिए मौर यंत्र की पूजन भी साथ करना चाहिये।

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