Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 105
________________ ११० श्री भक्तामर महामण्डल पूजा ४६ - ऋद्धि मंत्र जपने और यन्त्र पास रखने तथा उसकी त्रिकाल पूजा करने से कंद से छुटकारा होता है । राजा प्रादि का भय नहीं रहता है । दिन १०८ बार जाप करना चाहिए। ४७ -- ऋद्धिमंत्र को १०८ बार भारतनाकर करते वाले को विजय लक्ष्मी प्राप्त होती है। शत्रु का नाश होता है, वैरी के शस्त्रों की धार व्यर्थ हो जाती है, बन्दूक की गोली मरी आदि के घाव नहीं हो पाते । -प्रतिदिन १०८ बार २१ दिन तक मंत्र जपने से और यन्त्र पास रखने से मनोवांछित कार्य की सिद्धि होती है, जिसको अपने अधीन करना हो उसका नाम चिंतन करने से वह व्यक्ति अपने वश होता है । मन्त्र-साधना अपनी कार्य-सिद्धि के लिये जैसे अन्य उपाय किये जाते हैं उसी प्रकार मन्त्र प्राराधना भी एक उपाय है। मंत्रों द्वारा देव देवी अपने वश में किये जाते हैं, उन वशीभूत देवों के द्वारा अनेक कठिन कार्य करा लिये जाते हैं तथा मंत्रों द्वारा मानसिक वाचनिक शारीरिक शक्ति में वृद्धि भी की जा सकती है । परन्तु इतनी बात निश्चित है कि जब मनुष्य के शुभकर्म का उदय होता है उसी दशा में यन्त्र, मंत्र, तंत्र सहायक या लाभदायक हो सकते हैं किन्तु, जब अशुभ कर्म का उदय होता है, उस समय यंत्र मंत्र तंत्र काम नहीं भाते । रावण ने प्रचल ध्यान से बहुरूपिणी विद्या सिद्ध की थी किन्तु लक्ष्मण के साथ युद्ध करते समय प्रशुभ कर्म से कारण वह विद्या रावण के काम नहीं भाई इसलिये सदाचार, दान, व्रतपालन, परोपकार

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