Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 97
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पूजा तुम बिन अनन्तानन्त काल, गयो रुलत जग जाल में । अब शरण आयो नाथ युगकर, जोड़ नावत भाल मैं ।। बोहा - कर प्रमाण के माप तें, गगन नपे किह भंत । त्यों तुम गुण वर्णन करत, कवि पावे नहि अंत ॥ टुक अवलोकन प्राप को, भयो धर्म अनुराग । इकटक देखूं नित्य तो बढ़े ज्ञान वैराग || पन्थी प्रभु मत्थी मथन, कथन तुम्हार अपार । करो दया सब पै प्रभो, जामें पावें पार | मिक पाठ 1 १०२ ॐ ह्रीं श्रस्मिन् भक्तामर महाकाव्य मंडल पूजा विधान कर्मणि श्राहूयमाना देवगणाः स्वस्थानं गच्छन्तु । अपराधक्षमापणं भवतु | भारती ओम् जय आदिनाथ देवा, ओम् जय प्रादिनाथ देवा ॥ सुर नर मुनि गुण गाते, तुम कैलाशपती कहलाते, हम दर्शन कर पाप मिटाते, अन्तर बाहर दीप जलाते, करते चरणों की सेवा, ओम् जय प्रादिनाथ देवा ॥ इति श्री सोमसेनकृत भक्तामरमहामण्डलपूजा समाप्ता ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107