Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 90
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पूजा (विधि) श्रद्धासहित प्रतिदिन ऋद्धि-मन्त्र को १०८ बार जपने से शत्रु वश में होता है और शस्त्रादि के धाव शरीर में नहीं हो पाते ।।४।। अर्थ-हे वृषभेश्वर ! इस प्रकार जो विवेकशील बुद्धिमान पुरुष मापके इस परम पवित्र स्तोत्र का रात दिन अवासहित चिन्तवन, अध्ययन, भाराषन और मनन करते हैं, उनके मोमत्त हाथी, विकराल सिंह, भभकता दावानल, भयंकर सर्प, बीभत्स संग्राम, विष समुद्र, शस्त्रमहार और बन्धनजनित भय भी भयाकुल होकर अतिशीर नष्ट हो जाते हैं। और फिर मापके भक्तजनों को मोर लौटकर पार नहीं करते ॥४७॥ ॐ ह्रीं बहुविधविघ्नविनाशाय क्लींमहावीजाक्षरसहिताम श्रीवृषभजिनेन्द्राम प्रय॑म् ।।४७|| The intelligent man, who chants this prayer offered to Thee is in no time liberated from the fear born of wild elephants, lion, forest-conflagration, snakes, battles oces - ns, dropsy and shaekles. 47. ___ सर्व सिद्धि वामक स्तोत्रस्त्रजं तव जिनेन्द्र ! गुण - निबद्धां, भक्त्या मया रुचिरवर्णविचित्र-पुष्पाम् । धत्ते जनो य इह कण्ठगतामजस्रं, तंम. मवशा समुपैति लक्ष्मीः ॥४॥ भक्तामराख्यं स्तवनं यजामि, श्रीमानतुङ्गेन कृतं विचित्रं ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107