Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 11
________________ १६ श्री भक्तामर महामण्डल पूर्ण बेलायां परमार्थानां देवशास्त्रगुरूणां सन्निधौ परमधार्मिक श्रावकाणां विदुषाम्त्रा सन्निधी शान्तिकपौष्टिक निखिल कार्यसिद्धयर्थम् प्रमुक्रवासरादारम्य अमुकवासरपर्यन्तं होरा ......... पर्यन्तं महामहिम समधिष्ठितस्य प्रचिन्तयामेयफलप्रदस्य श्री भक्तामर स्तोत्रस्याखण्डपाठ करिष्यामहे । जलधारा, अभिषेकपाठः श्रीमन्नतामरशिरस्तदरत्नदीप्ती — तोयावभासिचरणाम्बुजयुग्ममीशम् । त्वम्मूर्तिषूद्यदभिषेक विधि करिष्ये ॥ १॥ अथ पौर्वाह्निक माध्याह्निकपराह्नदेववन्दनायां पूर्वाचार्यानु क्रमेण सकलकर्मक्षयार्थ भावनुजास्तववन्दनासमेत श्रीमहागुरुभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहम् | इसको पढ़कर ६ बार रणमोकार मन्त्र की जाप देना चाहिये । प्रातःकाल के समय पौर्वाह्निक, मध्यकाल के समय माध्यालिक श्रोर अपराह्न के समय भापराह्निक बोलना चाहिये । याः कृत्रिमास्तदितराः प्रतिमा जिनस्य, शक्रादयः सुरवराः स्नपयन्ति भक्त्या । सद्भावलब्धिसमयादिनिमित्तयोगा अर्हन्तमुन्नतपदप्रदमाभिनम्य, 7 तत्रैवमुज्ज्वलधिया कुसुमं क्षिपामि ||२|| इति अभिषेकप्रतिज्ञाये चतुष्पादे पुष्पाञ्जलि क्षिपामः । श्रीपीठक्लृप्ते वितताक्षतौघे, श्रीप्रस्तरे पूर्णशशाङ्ककल्पे । श्रीवर्त के चन्द्रमसीति वार्ता, सत्यापयन्तीं श्रियमालिखामि । श्रीं ह्रीं पई श्रीलेखनं करोमि ।

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