Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 22
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पूजा २७ . . .--..-- - कलाविज्ञान - सम्पूर्णो, वाचाल: शास्त्रवाक्पटुः । पण्डितो मुज्यते तत्र, करुएा - रस - पूरितः । सर्वाङ्गसुन्दरो वाग्मी, सकली - करण-क्षमः ।। स्पष्टाक्षर श्र मन्त्रज्ञो. गुरुभक्तो विशेषतः । श्रावक्रान् श्राविकाश्चंव, योगिनश्चायिकांस्तथा । चतुर्विध परं सड घं, समाह्वयेत् सुभक्तितः ॥ पूजा करण - शुद्धेन, कार्या सर्वज्ञ-सद्मनि । ततोऽर्चनं श्रुतस्यापि, गुरोः पादार्चनं ततः ।। कार्य सर्वज्ञ - पूजायाः, प्रारम्भे सर्वसिद्धिदम् । अनेन विधिना भगः, पुजा मार्ग निरन्तरम् ।। रच - यन्नहतां पूजा-, पीठिका पुण्यमाप्नुयात् । फलन्ति सर्व - कार्याणि, विघ्नराशिः क्षयं ब्रजेत् ।। 11 इति पीठिका समाप्ता ॥ श्रीवृषभदेवस्तुति ( अग्धरावृत्तम् ) श्रीमद्देवेन्द्र - वन्द्यौ, जिनवरचरणौ, ज्ञानदीपप्रकाशौ । लोकालोकाबकाशी, भवजलधिहरी, संततं भव्यपूज्यो ।। नत्वा वक्ष्ये सुपूजां, वृषभजिनपते: प्राणिनां मुक्तिहेतुं । यस्मात्संसारपार,श्रयति स मनुजो, भक्तियुक्तः सदाप्तः।।

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