Book Title: Bhaktamara Mahamandal Pooja
Author(s): Somsen Acharya, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 23
________________ श्री भक्तामर महामण्डल पूजा ( बसमा तिलकात्तम् ) श्रीनाभिराजतनुजं शुभमिष्टिनाथं, पापापहं मनुजनागसुरेशसेव्यम् । संसार - सागर - सुपोतसमं पवित्र, बन्दामि भव्यसुखदं वृषभं जिनेशम् ।।२।। यस्याब नाम जपतः पुरुषस्य लोके, पापं प्रयाति विलयं क्षणमात्रतो हि । सूर्योदये सति यथा तिमिरस्तथास्तं । वन्दामि भव्यसुखदं वृषभं जिनेशम् ।।३।। सर्वार्थसिद्धिनिलयाद्ध दि यस्य पुण्यात्, गर्भावतार - करणेऽमर - कोटिवगः । वृष्टि: कृता मणिमयी पुरुदेशतस्तं, वन्दामि भव्यसुखदं वृषभं जिनेशम् ।।४।। जन्मावतारसमये सुरवृन्दवन्द्यैः, भक्त्यागत: परमदृष्टितया नसस्तैः । नीत्वा सुमेरुमभिवन्ध सुपूजितस्तं, वन्दामि भव्यमुखदं वृषभं जिनेशम् ।।५।। षट्कर्म - युक्तिमवदर्य दयां विधाय, सर्वाः प्रजाः जिनधुरेण वरंण येन । मजीविताः सविधिना विधिनायकं तं, बन्दामि भव्यसुखदं वृषभं जिनेशम् ॥६॥

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